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Chaturmass

आस्था और विज्ञान का गजब मेल।

चतुर्मास में वर्जित चीजों का साइंस।

भारत में चार महीने माना जाता है देवता सोते हैं। इसे चतुर्मास के नाम से जाना जाता है और इस दौरान कई चीजें वर्जित होती हैं।

बारिश के मौसम में हेल्थ का खास खयाल रखना पड़ता है। इस मौसम में लोगों के बीमार होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। हिंदू कैलेंडर के हिसाब से 4 महीने चतुर्मास कहलाते हैं। जुलाई से अक्टूबर तक इन महीनों में कई चीजों की मनाही होती है। जैसा कि आप पहले भी कई बार पढ़ और सुन चुके होंगे कि आस्था के साथ विज्ञान का गहरा नाता होता है। चतुर्मास में जो चीजें मना होती हैं, दरअसल उनका कनेक्शन आपकी हेल्थ से जुड़ा होता है। यह बात आयुर्वेद ने भी मानी है कि इस मौसम में कुछ चीजें खाने से आपकी तबीयत बिगड़ सकती है तो इन्हें न खाना ही बेहतर है।

विज्ञान और आस्था का मेल

चतुर्मास में धार्मिक मान्यता के मुताबिक, चार महीने देवता सोते हैं। इस दौरान लोग कई चीजें खाना वर्जित मानते हैं और ज्यादार वक्त सादा खाना, व्रत और भजन-पूजन में बिता देते हैं। विज्ञान के हिसाब से भी यह एकदम सही है। बारिश के मौसम में इम्यूनिटी वीक रहती है। बरसात में कहीं आने-जाने में दिक्कत होती है। पहले के जमाने में सड़कों पर पानी भर जाने पर लोग वैद्य वगैरह के पास भी नहीं जा पाते थे तो इन महीनों में सादा खाकर सादगी भरा जीवन बिताते थे।

आयुर्वेद भी करता है पुष्टि

आयुर्वेद के मुताबिक, मानसून के महीने में वात, कफ और पित्त दोष बिगड़ जाते हैं। इस वजह से शरीर में कई तरह के इन्फेक्शंस हो सकते हैं। इस मौसम में खाने-पीने से होने वाली बीमारियां होने के चांसेज ज्यादा रहते हैं। चतुर्मास के दौरान कई व्रत भी पड़ते हैं जैसे गुरु पूर्णिमा, सावन के सोमवार, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, नवरात्रि वगैरह। कई लोग इस दौरान एक टाइम ही खाना खाते हैं जो कि हेल्थ और डाइजेशन के लिए काफी अच्छा होता है।

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, हरी पत्तेदार सब्जियां, पत्ता गोभी और बैगन चतुर्मास में नहीं खानी चाहिए। विज्ञान भी यही कहता है कि इन दिनों तापमान ऐसा होता है कि हरी पत्तेदार सब्जियों में बैक्टीरिया और फंगस ज्यादा उगने के चांसेज रहते हैं। इनके बजाय लौकी, करेला, तरोई और टिंडे जैसी सब्जियां खाएं।

इन दिनों डाइजेस्टिव सिस्टम वीक रहता है तो हाई प्रोटीन भी दिक्कत दे सकता है। इसीलिए उड़द की दाल, मसूर की दाल खाना भी मना होता है। वहीं तेल-मसाले वाला खाना और दही भी इस मौसम में न खाएं।

चतुर्मास में धार्मिक आधार पर लोग एक टाइम खाना खाते हैं और इस बीच पड़ने वाले कई व्रत रखे जाते हैं। वैज्ञानिक आधार पर आप इसे इंटरमिटेंट फास्टिंग मान सकते हैं। यह हमारा सिस्टम क्लीन करती है साथ ही इन्फ्लेमेशन कम करके कई गंभीर रोगों से बचाती है।

Pt. Deepak Pandey

Astrologer & Vastu shastra 9305360382

www. Vaastuinkanpur. Com

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