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- deepak9451360382
- Jun 30, 2022
- 2 min read
Updated: Mar 22, 2023
साधना और मनोकामना को गुप्त रखकर करें शक्ति की आराधना
आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्र 30 जून से तंत्र सिद्धि के लिए होगी शक्ति के नौ स्वरूप और दस महाविद्याओं की उपासना।
तंत्र सिद्धि के लिए शक्ति के नौ स्वरूप और दस महाविद्याओं के पूजन का पर्व आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्र की शुरुआत 30 जून को होगी। साधना और मनोकामना को गुप्त रखकर साधक शक्ति की आराधना करेंगे। इस बार नवरात्र पूरे नौ दिन 8 जुलाई तक होगी।साधना को गोपनीय रखने वाले इस पर्व में तांत्रिक पूजा का विशेष महत्व है। वर्ष में आने वाली चार नवरात्र में आषाढ़ माह की नवरात्र का विशेष महत्व है।
आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्र के पहले दिन गुरुपुष्य, सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि और पुष्य नक्षत्र का मंगलकारी संयोग बन रहा है। इतने संयोग एक साथ घट स्थापना के दिन बनना दुर्लभ संयोग है। इस बार किसी भी तिथि के क्षय न होने से पर्व पूरे नौ दिन रहेगा। तंत्र, यंत्र और मंत्र साधना के लिए खास अवसर पर दस महाविद्याओं का पूजन भी होगा। 30 जून गुरुवार को आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि सुबह 10.49 और ध्रुव योग सुबह 9.52 बजे तक रहेगी। इस दिन कार्य में सिद्धि देने वाला सर्वार्थ सिद्धि और खरीदी का अक्षय फल प्रदान करने वाला गुरुपुष्य नक्षत्र भी दिवस पर्यंत रहेगा।नवरात्र का समापन भड़ली नवमी के दिन आठ जुलाई को होगा।इस दिन भी साधना में सिद्धि देने वाला शिव और सिद्ध योग रहेगा। यह दिन स्वयं सिद्ध मुहूर्त में से एक होने के चलते इस दिन बड़ी संख्या में वैवाहिक आयोजन होंगे। नवमी तिथि का समापन शाम 6.25 बजे होगा। इसके बाद नवरात्र का पारण हो सकेगा।
सामान्य और गुप्त नवरात्र में अंतर
वर्ष में चार नवरात्र आते हैं। इसमें दो प्राकट्य और दो गुप्त नवरात्र है। चैत्र और अश्विन माह की नवरात्र को प्रगट नवरात्र माना गया है। इसमें सात्विक और तांत्रिक पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्र में पूजन-अनुष्ठान का प्रचार नहीं किया जाता है। इसमें साधक अपनी साधना को गोपनीय रखता है। साधना और मनोकामना को जितना गोपनीय रखा जाए सफलता उतनी अधिक मिलती है।
Pt. Deepak pandey vastu shastra expert & astrologer
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