कितनी संतान और कब होगी
यह सर्व विदित है की स्त्री और पुरुष संतान प्राप्त की कामना से विवाह करते हैं वंश की वृद्धि के लिए एवं परमात्मा की रचना में सहयोग देने के लिए यह आवश्यक भी है पुरुष पिता बनकर तथा स्त्री माता बनकर ही पूर्णता का अनुभव करते हैं धर्म शास्त्रों में भी यही कहते हैं कि संतानहीन व्यक्ति की यज्ञ दान तक एवं अन्य सभी पुण्य फल निष्फल हो जाते हैं वैदिक ज्योतिष में किसी घटना की निर्धारण के लिए सबसे पहले जन्मपत्रिका के युगों को देखा जाता है फिर उसे विषय से संबंधित दशा अंतर दशा का विश्लेषण किया था अंत में विचार करके विवाह के लिए हरी झंडी दी जाती है.
"कितनी संताने होगी"
भारत के ज्योतिष आचार्य पंडित दीपक पांडे जी बताया की पंचमेश सूर्य पंचम भाव में हो या पंचम भाव को देखता हूं तो एक पुत्र देता है इसी काम में गुरु पांच मंगल तीन पुत्र देता है शनि साथ कन्याएं शुक्र छह कन्याएं एवं चंद्रमा एक कन्या देता है पंचम भाव एवं पश्चिम से संबंध रखने वाले ग्रहों के विभिन्न अनुपात को देखकर के संख्या का निर्णय किया जाता है.
"संतान कब प्राप्त नहीं होती"
भारत की ज्योतिष आचार्य पंडित दीपक पांडे जी बताया की पंचम भाव पंचम भाव का स्वामी और गुरु पाप ग्रह से दृष्ट हो तो देवता की श्राप से सूती छह होता है और यदि यह दृष्टि छठा भाव से युक्त या दृष्ट हो तो विश्व की श्राप से सूती छह होता है
संतान का संबंध जन्म पत्रिका में पंचम भाव से होता है इसलिए पंचम भाव के स्वामी भाव के कारक अर्थात संतान के कारक पंचम भाव में बैठे ग्राम पंचम भाव पर दृष्टि रखने वाले ग्रह इन सभी के अंश तक का अध्ययन करने की आवश्यकता होती है
पंचम भाव में बैठे ग्रह छठे भाव में मध्य ग्रह की कितनी करीब है
पंचम भाव के मध्य अंशु की जो ग्रह करीब होता है वहीं गृह संतान प्राप्ति में सहायक होता है यदि वह ग्रह शुभ है तो
यदि पंचम भाव में कोई ग्रह नहीं है तो उसे पर ग्रहों की दृष्टि देखे जो ग्रह भाव मध्य के अंश पर दृश्य डालेगा वह संतान का समय जानने में सहायक होगा यदि पंचम भाव पर किसी ग्रह की दृष्टि ना हो तुम पंचमेश की स्थिति को अवश्य देखना चाहिए
पंचमेश किस भाव में कितने अंश पर है और पंचमेश पर किस-किस ग्रह की दृष्टि है
यदि पंचमी पर शुभ ग्रहों की दृष्टि होगी और पंचमेश पंचम भाव मध्य के अंश के बराबर या करीब करीब बराबर है तो पंचमेश संतान प्राप्ति में सहायक होता है जो भी ग्रह संतान करवाने में सहायक हो यदि उसकी महादशा या अंतर्दशा चल रही हो तो इस दशा में संतान होगी लेकिन दशा स्वामी की गोचर स्थित संतान का समय बताएंगे
ज्योतिष आचार्य पंडित दीपक पांडे ने बताया कि यदि गोचर में दशा स्वामी पंचम भाव मध्य पर गोचर करें या पूर्ण दृष्टि डालें तब संतान होती है
संतान का समय संतान में सहायक ग्रह उसकी अंतर्दशा एवं गुर्जर पर निर्भर करता है
पंचम भाव और पंचम भाव में बैठे ग्रह पर किस ग्रह की दृष्टि है कितने अंशु तक है
पंचम भाव से प्रथम संतान का उसे तीसरे भाव से दूसरी संतान का और उसे तीसरे भाव से तीसरी संतान का विचार करना चाहिए उससे आगे की संतान का जो विचार भी इसी काम में क्रमशः किया जा सकता है पंडित दीपक पांडे जोशी व वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ 9451360382 www.vaastuinkanpur.com
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