top of page
Search

#श्री यंत्र#श्री यंत्र#श्री यंत्र#यंत्र#yantra#yantra

  • deepak9451360382
  • Oct 22, 2024
  • 4 min read

श्री यंत्र नाम से ही प्रकट होता है की यह श्री यंत्र अर्थात लक्ष्मी जी का यंत्र है जो लक्ष्मी जी को सर्वाधिक प्रिय है लक्ष्मी स्वयं रहती है कि श्री यंत्र हमारा आधार है श्री यंत्र में हमारी आत्मा निवास करती है श्री यंत्र सभी यंत्रों में श्रेष्ठ माना गया श्री यंत्र के प्रभाव से दरिद्रता पास नहीं आती है श्री यंत्र दूसरों को इतना प्रिय है की श्री यंत्र की उत्पत्ति जानने के पश्चात ही समझ पाएंगे

एक पौराणिक कथा के अनुसार मां लक्ष्मी जी क्रुद्ध होकर के बैकुंठ धाम चली गई इससे पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार की समस्याएं प्रकट हो गई समस्त मानव समाज ब्राह्मण वैश्य व्यापारी सेवाकर्मी आदि सभी लक्ष्मी के अभाव में दीन हीन होकर इधर-उधर घूमने लगे तब ब्राह्मण में जो श्रेष्ठ वशिष्ठ जी ने यह निश्चय किया कि मैं लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने हेतु इस पृथ्वी पर लाने का प्रयास करूंगा

वशिष्ठ जी तत्काल बैकुंठ धाम जाकर मिले उन्हें जानकारी हुई की ममता मई मां लक्ष्मी जी आप्रसन्न है और वह किसी भी स्थिति में पृथ्वी पर आने को तैयार नहीं है तब वशिष्ठ जी ने वही बैठकर आदि आनंद और अनंत भगवान श्री विष्णु जी की आराधना करने लगे जब श्री विष्णु प्रसन्न होकर प्रकट हुए तब वशिष्ठ जी ने प्रार्थना की और बोले प्रभु श्री लक्ष्मी के अभाव में हम सब पृथ्वी वासी पीड़ित है आश्रम उजड़ गए हैं जनता जनार्दन दुखी है पूरा व्यापार तहस-नहस हो गया है सभी के चेहरे मुरझा गए है आशा निराशा में बदल गई है तथा लक्ष्मी के प्रति लोगो उत्साह और उमंग समाप्त हो गई है अब कैसे भी लक्ष्मी जी को मनाए और पृथ्वी निवासियों का उद्धार करें प्रार्थना सुनकर विष्णु जी ने वशिष्ठ जी को लेकर लक्ष्मी जी के पास लेकर गए और मानने लगे परंतु किसी भी प्रकार से लक्ष्मी जी को मनाने मैं सफल नहीं हो सके और रूठी हुई आप्रसन्न लक्ष्मी जी ने दृढ़तापूर्वक कहा कि मैं किसी भी स्थिति में पृथ्वी पर जाने को तैयार नहीं हूं उदास मन और खिन्न अवस्था में वशिष्ठ जी ने पुनः पृथ्वी लोक लौट आए और मां लक्ष्मी के निर्णय से सभी को अवगत कराया सभी दुखी थे देवगुरु बृहस्पति जी ने कहा कि अब तो मात्र एक ही उपाय है वह है श्री यंत्र की स्थापन यदि श्री यंत्र को प्राण प्रतिष्ठा करके पूजा की जाय तू लक्ष्मी को अवश्य ही आना होगा

देवगुरु बृहस्पति की बात से ऋषि एवं महर्षियों में आनंद व्याप्त हो गया और उन्होंने देवगुरु के निर्देशन में श्री यंत्र का निर्माण किय और उसे मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा करके दीपावली से 2 दिन पूर्व अर्थात धनतेरस को स्थापित करके पूजन किया पूजा समाप्त होते ही लक्ष्मी जी वहां उपस्थित हो गई और कहा कि मैं किसी भी स्थिति में यहां आने को तैयार नहीं थी परंतु आपने जो श्री यंत्र का प्रयोग किया इस कारण मुझे आना पड़ा श्री यंत्र ही तो मेरा आधार है इसमें मेरी आत्मा निवास करती है

श्री यंत्र सभी यंत्रों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है इसलिए इसे यंत्र राज कहा जाता है श्री यंत्र की रचना भी अनोखी हैं पांच त्रिकोण नीचे के भाग के ऊपर चार त्रिकोण जितना ऊपरी भाग नीचे की ओर है इस संयोजन से 43 त्रिकोण बनते है इन 43 त्रिकोण बनते हैं इन 43 त्रिकोण को घेर कर दो कमल दल बनते है पहले कमल दल अष्टदल है और दूसरा कमल दल षोडश दल है इन दो के बाहर के भाग को कमल दल कहते हैं

इस श्री यंत्र के विषय में पश्चिम के सुप्रसिद्ध रेखा गणित वैज्ञानिक अलेक्स कुल चियों ने अद्भुत तत्व प्रस्तुत किया हैं कहते हैं कि वैज्ञानिक के अनुसार श्री यंत्र के संरचना रेखा विद्या बिंदु केंद्र बनाना विचित्र योग है फिर किसी प्रकार की अनियन आड़ी रेखाएं आकृतियां बनती है यह भी आश्चर्य का विषय है साथ ही साथ संपूर्ण रूप में अपलक इस रेखा रचना को देखते रहने पर चलाएं मानसी अनुभव होती है कुछ हिलता-डुलता सा नजर आता है इसकी अनेक आकृतियां भी हैं

यंत्रों में जो भी अंक लिखे जाते हैं अथवा जो भी आकृतियां बनाई जाती है वह विशिष्ट देवी देवताओं की प्रतीत होती है यंत्रों की उत्पत्ति भगवान रुद्र के प्रलय करी तथा तांडव से मानी जाती हैं यंत्रों के दर्शन मात्र से काम बन जाता है और नियमित रूप से यदि पास रखा जाए तो निरंतर शुभ कार्य संपन्न होते है

संपूर्ण यंत्र विज्ञान मे श्री यंत्र को सर्व सिद्ध धनदाता और श्री दाता कहां गया है इसे सिद्ध अथवा अभिमंत्रित करने की अनेक विधियां है श्री यंत्र को तांबे चांदी अथवा सोने पर बनाया जा सकता है तांबे पर २ वर्ष चांदी पर ११ वर्ष तथा सोने पर सदैव प्रभावशाली होता है ऐसे व्यक्तियों जो कुछ भी कार्य नहीं कर सकते उन्हें श्री यंत्र का लॉकेट पहना दिया जाए तो उसे भी शादबुद्धि आ जाती है तथा वह काम करने लगता है श्री यंत्र को दीपावली के दिन स्थापित करना चाहिए इससे धन की प्राप्ति तो होगी और निरंतर नौकरी अथवा व्यवसाय में उन्नति प्राप्त होगी और आपका भाग्य उदय होगा तथा लक्ष्मी जी आप पर हमेशा आशीर्वाद बनाए रखती है जो स्त्री अपने पति की निरंतर उन्नति चाहती है उन्हें अवश्य ही लक्ष्मी जी के यंत्र को स्थापित करना चाहिए इससे आपके घर में सुख शांति और लक्ष्मी जी की कृपा आप पर स्थाई रूप से हो जाती है

श्री यंत्र को यंत्र राज अथवा यंत्र शिरोमणि भी कहा जाता है क्योंकि बाकी सभी यंत्रों में मंत्रो के साथ-साथ पूजा स्थल कार्यालय दुकान फैक्ट्री पढ़ाई के स्थान पर पूजा पाठ करने से धन धान्य की वृद्धि होती है और दुर्घटना से बचाव होता है

श्री यंत्र जिस घर पर स्थापित होता है वहां पर आर्थिक उन्नति होती है अतः स्पष्ट है कि श्री यंत्र एक अद्भुत यंत्र है इसके महत्व का वर्णन करना सूर्य को दीपक दिखाने के बराबर होगा इसे आप अपने घर में स्थापित कर स्वयं अनुभव करे

कानपुर से पंडित दीपक पाण्डेय ज्योतिषी और वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ 9305360382

 
 
 

Recent Posts

See All
होलाष्टक आज से शुभ कार्य वर्जित

सेवा में संपादक जी विषय. होलाष्टक प्रारंभ शुभ कार्य वर्जित महोदय. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को होलाष्टक प्रारंभ हो जाते हैं...

 
 
 

Comments


Post: Blog2_Post

Subscribe Form

Thanks for submitting!

+91 9451360382, 9305360382, 9838360382

Pt. Deepak Pandey

Office Address 1: B-1-188, Barra-8, B1 Block, Barra 8, Barra, Kanpur, Uttar Pradesh 208027, India

Office Address 2: 15/299, First Floor D5, Civil Lines, Mall Road, Kanpur (below Landmark Building)

Office Address 3: H-9, MIDC Area, Jalgoan, Maharashtra

  • Google Places
  • Facebook
  • Twitter
  • Instagram
  • YouTube

©2022 by Vaastu in Kanpur.

bottom of page