top of page
Search

वास्तु शास्त्र के सूत्र पंडित दीपक पांडे

deepak9451360382

आपके जीवन में बहुत उपयोगी है वास्तु शास्त्र के सिद्धांत पंडित दीपक पांडे

वास्तु शास्त्र में भावनाओं के निर्माण में क्षेत्र चल पावक गगन समीरा इन पांच तत्वों की उपाध्यता सर्व स्वीकार है और इन्हीं तत्वों से या समूची सृष्टि एवं मनुष्य के शरीर निर्मित है इन्हीं पंचभूतड़िक तत्वों का संतुलन वस्त्र का मूल है

भारत की वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ पंडित दीपक पांडे ने बताया की भूमि की ढलान का भी आपके जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है यदि आपकी भूमि पूर्व की और हलदर है तो वह भूमि धनदायक होती है और जिस भूमि का दल अग्नि कोण की ओर हूं वह भूमि बाहर दायक होती है दक्षिण में हालदार भूमि मतदायक होती है और नृत्य की ओर ढलदार हूं धन हानि करवाती है पश्चिमी ढलदार भूमि संतान की हानि करवाती है और वेब में ढलदार भूमि जमीन के कारण आपको प्रदेशवासी बना देती है और उसे जमीन पर बने मकान में आप बहुत दिन नहीं रह पाते हैं उत्तर की ओर ढलदार होने पर धन की वृद्धि करती है और ईशान कोण की ओर ढलदार भूमि आपको शिक्षा क्षेत्र भी अग्रसर करवाती है भूमि के मध्य में सात नीचे रहने में गड्ढा होने पर कचड़ाव होता है जो भूमि दक्षिण पश्चिमी नृत्य एवं बाइबिल में ऊंची होती है इस गज भूमि कहा जाता है और ऐसी भूमि पर मकान एवं दुकान का निर्माण शुभ एवं लाभदायक होता है ऐसी भूमि जो मध्य भाग से ऊंची हो तथा चारों दिशाओं में झुकी हो वह भूमि पूर्व पृष्ठभूमि कहलाती है इस भूमि पर निर्माण शुभ एवं लाभदायक होता है जो भूमि किस अग्नि कोण और पूर्व में ऊंची हो उसे दैत्य भूमि कहते हैं इस पर बने भवन निर्माण को अशुभ माना गया है उसी प्रकार जो भूमि उत्तर दक्षिण में ऊंची हो एवं मध्य में नीची हो उसे नाग पृष्ठभूमि कहते हैं और इस पर निर्माण करके निवास करना अशुभ है

भारत के वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ पंडित दीपक पांडे ने बताया की भूखंड का चयन करते समय उसके आसपास की भूमि एवं वातावरण पर विचार करना श्रेष्ठ होता है आप जो भूखंड पसंद कर रहे हैं यदि उसके ईशान कोण की ओर तालाब नदी पानी की टंकी है तो यह शुभ है नृत्य पूर्ण में ऊंची इमरती हूं तो उत्तम दक्षिण पश्चिम में पहाड़ या ऊंची चट्टानें हो तो भी शुभ भूखंड के समीप दक्षिण पश्चिम में कोई तालाब गड्ढा कुआं आदि हो तो वह भूमि अशुभ होती है

भारत की वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ पंडित दीपक पांडे ने बताया कि वास्तु शास्त्र के अनुसार सर्वप्रथम भूखंड का शिला पूजन करें और फिर न्यू का पूजन करें न्यू पूजा करके दक्षिण पूर्व की कुर्मी प्रथम शीला न्यास करके शेष चारों सनिलाओं को प्रशिक्षण क्रम से स्थापित करें और महर्षि कश्यप के अनुसार सूत्राभिक शिलान्यास तथा प्रथम स्तंभन स्थापना पूर्व दक्षिण के मध्य यानी आधुनिक पूर्ण ही करना श्रेष्ठ कर होता है

भारत की वास्तु शास्त्र विशेष पद्धति पर पानी बताया कि वास्तु शास्त्र नियम की अनुसार पूर्व में स्नानागार अग्नि में रसोई कच्छ दक्षिण में संकट नृत्य पूर्णिमा विश्राम कक्ष पश्चिम में भोजन का वेब में भंडार कच्छ उत्तर में धनगर ईशान में पूजा कच्छ दक्षिण एवं नृत्य के मध्य शौचालय उत्तर पश्चिम के मध्य संकट पूर्व एवं ईशान के मध्य स्वागत कक्ष का निर्माण करवाना चाहिए

 
 
 

Recent Posts

See All

होलाष्टक आज से शुभ कार्य वर्जित

सेवा में संपादक जी विषय. होलाष्टक प्रारंभ शुभ कार्य वर्जित महोदय. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को होलाष्टक प्रारंभ हो जाते हैं...

पत्थर से बनी हुई मकान दुखदाई

पत्थर से बनी हुई भावनाओं का वस्तु विश्लेषण पंडित दीपक पांडे प्राचीन काल से ही भारतीय राजा महाराजा अपने की राज महल मंदिर स्तूप बावड़ी...

Comments


Post: Blog2_Post

Subscribe Form

Thanks for submitting!

+91 9451360382, 9305360382, 9838360382

Pt. Deepak Pandey

Office Address 1: B-1-188, Barra-8, B1 Block, Barra 8, Barra, Kanpur, Uttar Pradesh 208027, India

Office Address 2: 15/299, First Floor D5, Civil Lines, Mall Road, Kanpur (below Landmark Building)

Office Address 3: H-9, MIDC Area, Jalgoan, Maharashtra

  • Google Places
  • Facebook
  • Twitter
  • Instagram
  • YouTube

©2022 by Vaastu in Kanpur.

bottom of page