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मकर संक्रांति का महत्त्व मान्यताएं

प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में संक्रांति आती है सूर्य सुधा का स्त्रोत है और मकर संक्रांति इसके शनदोहन का पुण्य पर्व है सूर्य उपासना के सर्वकालिक एवं सर्व हैं

मकर संक्रांति की विशेषता यह है कि भारत के प्रत्येक अंचल में किसी ना किसी रूप में अवश्य ही मनाया जाता है तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की कुछ भागों में इसे महत्वपूर्ण त्योहार को विशाल स्तर पर कई दिनों तक मनाया जाता है आंध्र प्रदेश में तो होगी बऒगी पोंगल तथा पोंगल कहते हैं पोंगल तमिल नाडु के पुराने त्योहार में से एक है इसका संबंध धरती माता से है उक्त जानकारी भारत के पंडित दीपक पांडे ने

मकर संक्रांति के दिन से कर्क संक्रांति की अवधि उत्तरायण कहलाती है उत्तरायण देवता का दिन है जबकि दक्षिणायन देवताओं की रात्रि है इस प्रकार मकर संक्रांति देवताओं का दिन प्रारंभ होता है इसी कारण मुहूर्त में संक्रांति और उत्तरायण विशेष महत्व है ..

पंडित दीपक पांडे ने बताया की भगवान श्री कृष्ण ने कहां है जो मनुष्य उत्तरायण मृत्यु प्राप्त करता है वाह परम ब्रह्म को प्राप्त होता है जबकि दक्षिणायन मृत्यु प्राप्त करने वाले स्वर्ग लोक में अपने शुभ कर्मों का फल भोग कर वापस लौट आती है

पंडित दीपक पांडे ने बताया की संक्रांति के दिन तिल मिले जल से स्नान करने का महत्व है कर संक्रांति के मकर संक्रांति के दिन ब्रह्मा मुहूर्त स्नान करना चाहिए काले तिल से निर्मित भोजन करना उत्तम होता है आराधना के लिए काले तिल के तेल से दीपक का उपयोग करना माना गया है शुभ माना गया है मकर संक्रांति दिन निरंतर स्नान और ध्यान पश्चात काले तिल का तेल आंवला वस्त्र कंबल इत्यादि निर्धनों को एवं देवालय दान देने से अपना तथा अपने कुल के पितरों का यमलोक से उद्धार होता है

धर्म शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति में लकड़ी से बनी हुई वस्तु अग्नि माचिस लाइटर दान है

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