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बगलामुखी#Baglamukhi#E BAGLAMUKH KANPUR#baglamukhi Delhi NCR#bagalamukhi Lucknow #bagalamukhi Mumbai

  • deepak9451360382
  • Jan 18, 2022
  • 2 min read

Updated: Jan 19, 2022

बगलामुखी

शत्रु एवं प्रतिस्पर्धाओं रखें आगे

वर्तमान परिस्थिति के युग में कोई शत्रु रहीत हो ऐसा संभव नहीं दुश्मन कोई भी सकता है अपना रिश्तेदार भी पड़ोसी भी परिजन भी यह कड़वा सच है किसी की उन्नति देखकर के निकट के लोग सर्वाधिक ईर्ष्या रखते हैं इसके अतिरिक्त जिन व्यक्तियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जा रही है अर्थात जिनसे पत्नी चल रहे हैं वह भी आपके हो सकते हैं

ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक पांडे ने बताया शत्रु दो प्रकार के होते हैं शत्रु और गुप्त शत्रु सामने की शत्रुओं की गतिविधियों आप वाकिफ हैं परंतु गुप्त शत्रुओं की गतिविधियों से वाकिफ नहीं है गुप्त शत्रु ग्रुप से आपको नुकसान पहुंचाने और तुम्हारी राह में परेशानियां खड़ी कर देते हैं ऐसे शत्रु किसी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं आप को नुकसान पहुंचाने के लिए तंत्र मंत्र का भी सहारा लेती हैं हो सकता है ऐसा ही कोई आपका भी शत्रु हूं आप पर तंत्र मंत्र के सहारे आप को क्षति पहुंचाने का प्रयास करें या कर रहा. ऐसी दुश्मनों को इस बात से मतलब नहीं है यह प्रयोग अनिष्ट कारी सिद्ध हो सकते हैं उनका उद्देश्य अधिक से अधिक कान पहुंचाने का है इस प्रकार की तांत्रिक प्रयोग से दुश्मन सामने की दुश्मनी से ज्यादा खतरनाक होते हैं ऐसे शत्रु के द्वारा किए गए अथवा करवाए गए परिचारिका प्रयोग भीषण बीमारी या दुर्घटना होने तक का का खतरा बना रहता है

ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक पांडे ने बताया की शत्रुओं से निपटने के लिए बगलामुखी सर्वोपरि माना गया है बगला शब्द शब्द से बना है वळगा का शाब्दिक अर्थ है निग्रह करने वाली लगाम लगाने वाली होती है जिस प्रकार लगाम घोड़े को रोकने में काम आती है उसी प्रकार बगलामुखी दुश्मनों को स्तंभित कर देती है ब्रह्मास्त्र से युक्त और सर्व स्तंभ कारी देवी बगलामुखी सिद्धि स्वरूपा है एक रूप में 2 भुजा हम तो नेत्रों से युक्त है दूसरे रूप में चारभुजा एवं 3नेत्रों से युक्त हैं दोनों ही रूप में दुश्मन की जीभ पकड़े हुए हैं स्पष्ट है की देवी बगला मुखी दुश्मनों को परेशान करने वाली है दुश्मनों से निजात पाने के लिए बगलामुखी की साधना सर्वश्रेष्ठ है लंका में बगलामुखी की अशोक वाटिका हनुमान जी रूद्र रूप में और राक्षसों का संहार कर रहे थे तो मेघनाथ बगलामुखी साधना से ही हनुमान जी की स्तंभित किया अंगद ने भी विद्या के सहारे रावण की सभा में पैर को स्तंभित किया था अथर्ववेद में अभिचार वर्णन आता है उनकी शांति के लिए बगलामुखी की पूजा बताई गई है

उक्त जानकारी कानपुर के ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक पांडे ने दी 9305360382www.vaastuinkanpur.com


 
 
 

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